Breaking News: दून पुलिस के हत्थे चढ़ा अन्तर्राज्जीय नकल माफिया, फर्जी परीक्षार्थी के साथ पकड़ा गया गिरोह का सरगना।

प्रतियोगी परीक्षाओं में साल्वर के ज़रिए नकल करवाने वाले गैंग का भंडाफोड़, एक लाख रुपये की नकदी और मोबाइल बरामद

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को बैठाकर परीक्षा दिलाने वाले अन्तर्राज्जीय नकल गिरोह का पर्दाफाश किया है। थाना कैन्ट पुलिस ने गिरोह के सरगना प्रणव कुमार और एक फर्जी परीक्षार्थी आयुष पाठक को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के पास से 1 लाख रुपये नकद और 3 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।

सीबीएसई परीक्षा में पकड़ा गया फर्जी उम्मीदवार, खोला पूरे नेटवर्क का राज

दिनांक 20 अप्रैल 2025 को सीबीएसई द्वारा आयोजित रिक्रूटमेंट परीक्षा में शामिल एक संदिग्ध परीक्षार्थी की पहचान गौतम कुमार पासवान के नाम पर हुई, लेकिन सीबीएसई की जांच में खुलासा हुआ कि वास्तविक परीक्षार्थी की जगह कोई और परीक्षा दे रहा था। पूछताछ में आरोपी ने फर्जीवाड़े की बात स्वीकार की, जिसके बाद थाना कैन्ट में मामला दर्ज किया गया।

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गिरफ्तार हुए आरोपी की पहचान

  • आयुष कुमार पाठक निवासी रोहतास, बिहार (वर्तमान में रेनूकूट, उत्तर प्रदेश) — फर्जी परीक्षार्थी।
  • प्रणव कुमार निवासी नालंदा, बिहार — गिरोह का सरगना।

ऐसे करता था गिरोह ऑपरेशन

  • आरोपी प्रणव कुमार बिहार/झारखंड के युवाओं से संपर्क कर उन्हें सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में पास कराने का “ठेका” लेता था।
  • फर्जी उम्मीदवार (साल्वर) को परीक्षा में बैठाने के लिए, असली उम्मीदवार और साल्वर के फोटो को मिलाकर ऐप की मदद से नया मिलता-जुलता फोटो तैयार किया जाता, जिसे एडमिट कार्ड पर अपलोड कर दिया जाता।
  • साल्वर के लिए फर्जी पैन कार्ड और अन्य पहचान पत्र भी बनवाए जाते, ताकि परीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक सिस्टम को चकमा दिया जा सके।
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10 लाख में हुआ था सौदा

प्रणव कुमार ने गौतम पासवान से CBSE सुप्रींटेंडेंट परीक्षा दिलाने के लिए 10 लाख रुपये में सौदा तय किया था, जिसमें से 1 लाख रुपये नकद और 25 हजार पेटीएम के माध्यम से पहले ही मिल चुके थे। बाकी की रकम चयन होने पर दी जानी थी। लेकिन बायोमेट्रिक जांच के चलते धोखाधड़ी पकड़ी गई, और गिरोह बेनकाब हो गया।

अब तक 10-15 परीक्षाओं में कर चुका था फर्जीवाड़ा

प्रणव कुमार और आयुष पाठक की जोड़ी अब तक 10-15 परीक्षाओं में साल्वर के माध्यम से नकल करवा चुकी है, जिनमें रेलवे और अन्य केन्द्रीय सेवाओं की परीक्षाएं भी शामिल हैं। कई अभ्यर्थी फर्जीवाड़े के जरिए चयनित भी हो चुके हैं।

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